प्रजातंत्र में
मानव अभिमत
देश का सत
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
आज के नेता
देश के पौधे पर
अमरबेल
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
सूखे दरख्त
समाज के बंधन
सींचेगा कौन
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
देश की शान
विश्व में पहचान
भाषा हिन्दी की
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
धरा ने ओढ़ी
चादर सुनहली
नई उषा की
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
धरा श्रृंगार
स्वीकार कर लिया
नीर कणों ने
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
टिपटिपाती
बूँदें बरसात की
नया संगीत
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
महिला रक्षा
नई ढपली हेतु
पुराना राग
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
शिक्षा का रथ
सारथी के अभाव
बढेग़ा कैसे
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
रात-दिन की
मिलन मनुहार
संध्या के द्वार
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
आज की शिक्षा
बिना नींव का एक
ऊंचा भवन
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
अभिनंदन
धरती के रूप का
किया वर्षा ने
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
प्रकृति नारी
हरित श्रृंगार में
मोहक लगे
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
हाय मानव
पहचान खो गई
इस युग में
-डा० संजय कुमार सराठे
 
 
 
 
फूले कास ने
हथेली फैलाकर
समेटी खुशी
-डा० संजय कुमार सराठे