Friday, March 10, 2006

तुम याद आना

तुम याद आना
यादों के समंदर में
आँसू सी लहर बन
मन की कोमल बगिया के
तरु को सिंचित कर
प्रीति के सुमन खिला जाना
तुम याद आना तुम याद आना

घोर अँधेरी रातों में
जुगुनू–सी चमक बन
नीरवता के वितान में
पायल की झनकार से
मधुमय अहसास दिला जाना
तुम याद आना
तुम याद आना


***


-डा० संजय कुमार सराठे


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